आप शेयरों की बिक्री या खरीद से भी मोटी कमाई कर सकते हैं ऐसे में यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है
इक्विटी शेयरों की बिक्री से होने वाली इनकम या लॉस कैपिटल Gens के तहत कवर होता है कैपिटल गेन टैक्स को दो तरह के होते हैं शार्ट टर्म और लॉन्ग टर्म आइए नेक्स्ट स्लाइड से जानने की यह क्या है अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड से रंग को खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर मुनाफा होता है तो इस पर एलटीसीजी के तहत टैक्स देना पड़ता है दो हजार अट्ठारह के बजट में लोंग टर्म कैपिटल गैंस टैक्स को फिर से शुरू किया गया था
अगर आप शेयर मार्केट में लिस्टेड किसी शेयर को खरीदने के 12 महीने के अंदर भेजते हैं तो इस पर आपको 15 फ़ीसदी की दर से टैक्स देना होगा आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन किया है तो इस पर 15 फरीदी का ही टैक्स लगेगा अगर आपकी टैक्सेबल इनकम ढाई लाख रुपये से कम है तो शेयर बेचने से हासिल लाभ को इससे एडजस्ट किया जाएगा और फिर टेक्स्ट कैलकुलेट होगा इस पर 15 फ़ीसदी टैक्स के साथ चार फीस दी शेष लगेगा
स्टॉक एक्सचेंज में बेचे और खरीदे जाने वाले शेयरों पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स यानी एसटीटी लगता है जब भी शेयर बाजार में शेयरों की खरीद बिक्री होती है इस पर यह टेक्स देना पड़ता है शेयरों की बिक्री पर से लड़को जीरो पॉइंट 0 25 डिस्ट्रिक्ट टैक्स देना पड़ता है यह टेक्स्ट शेयरों के बिक्री मूल्य पर देना पड़ता है डिलीवरी बेस्ट से रोया इक्विटी म्युचुअल फंड की यूनिट्स की बिक्री पर 0.008 जी की दर से टैक्स लगता है इंट्राडे ट्रेडिंग से होने वाली कमाई को स्पेक्युलेटिव बिजनेस इनकम कहते हैं इसके अलावा फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई को नॉन स्पेक्युलेटिव बिजनेस इनकम कहा जाता है इन से होने वाली कमाई पर आपको टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है इसका मतलब है कि सिलेब के अनुसार 2.5 लाख रुपए तक की कमाई पर टैक्स नहीं लगेगा इसके ऊपर की कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा