रक्षाबंधन !

Raksha Bandhan 2023

रक्षाबंधन आज भद्रा काल के चलते रात में बांधे राखी, जानें राखी बांधने की पूरी विधी

 

Raksha Bandhan 2023: सावन पूर्णिमा के दिन आने वाले रक्षाबंधन त्योहार के दिन बहन अपने भाई की आरती उतारकर (औक्षण करके) प्रेम के प्रतीक स्वरूप राखी बांधती है। भाई अपनी बहन को कुछ भेंट देकर, उपहार देकर उसे आशीर्वाद देता है। आइए जानते हैं हजारों वर्षों से चले आ रहे रक्षाबंधन के त्योहार के पीछे का इतिहास, शास्त्र, राखी बांधने की पद्धति एवं इस त्योहार का महत्व।

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है ?

इतिहास: पाताल के राजा बलि को देवी लक्ष्मी ने राखी बांध कर उन्हें अपना भाई बनाया एवं भगवान नारायण को स्वतंत्र कराया, वह दिन सावन पूर्णिमा का था। 12 वर्षों तक इंद्र एवं दैत्य में युद्ध चला। अपने 12 वर्ष अर्थात उनके 12 दिन के युद्ध में इंद्र थक गए एवं दैत्य हावी हो रहे थे। इंद्र उस युद्ध से स्वयं की प्राण रक्षा कर के पलायन करने के लिए तैयार थे। इंद्र की यह व्यथा सुनकर इंद्राणि गुरु के शरण गईं। गुरु बृहस्पति ने ध्यान लगाकर इंद्राणी से कहा यदि ‘आप अपने पतिव्रत बल का प्रयोग करके यह संकल्प करें कि मेरे पति देव सुरक्षित रहें एवं इंद्र की दाहिनी कलाई पर एक धागा बांधें तो इंद्र युद्ध जीत जाएंगे।’ इंद्र विजयी हुए एवं इंद्राणी का संकल्प साकार हुआ। भविष्य पुराण में बताए अनुसार रक्षाबंधन यह मूलतः राजाओं के लिए था। राखी की एक नई पद्धति इतिहास काल से प्रारंभ हुई।

रक्षाबंधन मुहूर्त

इस साल रक्षाबंधन दो दिन मनाया जाएगा. जानते हैं साल 2023 राखी बांधने का शुभ मुहूर्त, शुभ योग, विधि से लेकर समस्त जानकारी!

रक्षाबंधन पर राखी कैसे बांधे?

रक्षाबंधन का दिन भाई-बहन के अनमोल रिश्ते का प्रतीक है. इस दिन राखी बाधंने से पहले इन बातों का विषेश ख्याल रखें –

इस बात का ध्यान रखें भद्रा काल ना चल रहा हो. राखी की थाली सजाएं, थाली में रोली, कुमकुम, अक्षत, दीपक, मिठाई जरुर रखें. बहन- भाई दोनों को अपना सिर ढकना चाहिए. उत्तर दिशा में मुख करके बैठे. फिर भाई के सीधे हाथ में राखी बांधे, तिलक करें और भाई-बहन एक दूसके का मुंह मीठा कराएं, अंत में भाई की आरती उतारें, भाई को बहन के पांव जरुर छूने चाहिए.

रक्षाबंधन पर बहने इस दिन को खास बनाने के लिए हर बहन काफी पहले से तैयारी शुरू कर देती है. हाथों में मेहंदी लगाना, सजना, नए कपड़े खरीदना आदि.

आज पूरे दिन भद्रा काल का साया

30 अगस्त आज सावन की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत सुबह से हो चुकी है. लेकिन भद्रा होने के कारण आज राखी नहीं बांध सकते. भद्रा काल आज रात 9:01 मिनट तक रहेगा. इसके बाद राखी बांधी जा सकती है.

भद्रा कौन सी अच्छी होती है

शुक्ल पक्ष की चतुर्थी व एकादशी और कृष्ण पक्ष की तृतीया व दशमी तिथि वाली भद्रा दिन में शुभ होती है, केवल रात्रि में अशुभ होती है.
शुक्ल पक्ष की अष्टमी व पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की सप्तमी व चतुर्दशी तिथि वाली भद्रा रात्रि में शुभ होती है, केवल दिन में अशुभ होती है.

साल 2023 में रक्षाबंधन का मुहूर्त 30 अगस्त की रात में 9:01 मिनट के बाद शुरु होगा. 30 अगस्त को पूरे दिन भद्रा का साया है. जिस वजह से आप रात को 9:01 मिनट के बाद राखी बांध सकते हैं. इस बात का फर्क नहीं पड़ता राखी का मुहूर्त सुबह का हो या रात का, राखी बांधना लाभकारी होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भद्राकाल और राहुकाल में राखी बांधना मना है. साल 2023 में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त रात का है, इसलिए ये साफ है कि राखी रात में भी बांधी जा सकती है.

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